किताब का अनुवाद कराना है, कौन है अच्छा अनुवादक

देश में हर वर्ष लाखों की संख्या में किताबें प्रकाशित होती हैं। किसी एक भाषा में लिखी पुस्तक अगर पाठकों के दिल को छू गई तो दूसरी भाषा में भी उसकी सफलता की संभवना बढ़ जाती है। ऐसे में उस पुस्तक का किसी अन्य भारतीय भाषा या किसी फॉरेन लैंग्वेज में अनुवाद कराने की आवश्यकता होती है। एक अच्छा अनुवादक तलाशने का काम अक्सर प्रकाशक ढूंढने से पहले करना जरूरी होता है। क्योंकि अगर पुस्तक का अनुवाद मूल कृति के भाव या अभिव्यंजना के स्तर जैसा नहीं होगा तो अनूदित किताब पाठकों के दिल में वैसी जगह नहीं बना सकेगी जैसी मूल कृति की है।
प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम को पुस्तकों के अनुवाद में खास महारत हासिल है। किसी भारतीय भाषा में अनुवाद हो या विदेशी भाषा में, प्रोलिंगो एडिटर्स की इनहाउस टीम और स्वतंत्र अनुवादकों के पैनल में ऐसे अनुवादक हैं, जिन्होंने स्वयं पुस्तकें लिखीं और अनूदित की हैं। इतिहास, साहित्य, कानून, विज्ञान, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि विषय कोई सा हो, प्रोलिंगो एडिटर्स की अनुवाद टीम में सभी विषयों के जानकार हैं। वे विषय की गंभीरता, उसकी शब्दावली, अभिव्यक्ति, सभी बारीकियों को बेहतर ढंग से समझते हुए कथ्य और तथ्य को दूसरी भाषा में प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
प्रोलिंगो एडिटर्स के निदेशक जगदीश लाल कहते हैं, ''अनुवाद वह विधा है, जिसके माध्यम से दो भाषाओं के बीच सांस्कृतिक आदान—प्रदान संभव होता है। यह आदान—प्रदान अपनी संपूर्णता में हो इसकी पूरी जिम्मेदारी अनुवादक की होती है। यह पुरानी कहावत है कि दो भाषाएं जानने भर से कोई व्यक्ति अनुवादक नहीं हो जाता है। दो भाषाएं बोल और लिख लेना किसी की विशेषता हो सकती है, लेकिन एक अच्छा अनुवादक होने के लिए जो खास योग्यता होती है वह है भाषा—संस्कृति की समझ। पुस्तक के अनुवाद में किसी अनुवादक की इसी योग्यता की परीक्षा होती है।''
प्रोलिंगो एडिटर्स की संपादक (भाषा) डॉ. तृप्ति कहती हैं, ''तकनीक ने पुस्तकों के प्रकाशन और वितरण की व्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं। किताबें आज डिज़िटल फॉर्म में ज्यादा पसंद की जा रही हैं। इस लिहाज से पुस्तक की छपाई पर आने वाली लागत घटी है, लेकिन दूसरी ओर पुस्तक को कई भाषाओं में प्रकाशित करने का चलन बढ़ा है। आज अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली कोई पुस्तक छह महीने के भीतर दूसरी भारतीय भाषाओं में भी आ जाती है। ऐसे में अनुवादक की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।''
प्रयागराज के एक नामी प्रकाशन से जुड़े मृत्युंजय चोपड़ा कहते हैं, ''हमारे प्रकाशन की विधि की दो पुस्तकों का अनुवाद प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम ने किया। विधि से जुड़ी शब्दावली अपेक्षाकृत क्लिष्ट होती है। दोनों ही पुस्तकों को टीम ने हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद किया, जो बेहद संतोषप्रद रहा। हमारे प्रकाशन की पुस्तकें ज्यादातर सिविल की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए उपयोगी होती हैं। छात्रों की बेहद मांग को देखते हुए विधि की दो किताबों का अंग्रेजी अनुवाद जरूरी हो गया था। प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम की मदद से कम समय में ही उन दोनों किताबों का अंग्रेजी संस्करण आ गया। दो साल हो गए। दोनों ही पुस्तकें खूब पसंद की गई हैं।
प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम को पुस्तकों के अनुवाद में खास महारत हासिल है। किसी भारतीय भाषा में अनुवाद हो या विदेशी भाषा में, प्रोलिंगो एडिटर्स की इनहाउस टीम और स्वतंत्र अनुवादकों के पैनल में ऐसे अनुवादक हैं, जिन्होंने स्वयं पुस्तकें लिखीं और अनूदित की हैं। इतिहास, साहित्य, कानून, विज्ञान, राजनीति, अर्थशास्त्र आदि विषय कोई सा हो, प्रोलिंगो एडिटर्स की अनुवाद टीम में सभी विषयों के जानकार हैं। वे विषय की गंभीरता, उसकी शब्दावली, अभिव्यक्ति, सभी बारीकियों को बेहतर ढंग से समझते हुए कथ्य और तथ्य को दूसरी भाषा में प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करते हैं।
प्रोलिंगो एडिटर्स के निदेशक जगदीश लाल कहते हैं, ''अनुवाद वह विधा है, जिसके माध्यम से दो भाषाओं के बीच सांस्कृतिक आदान—प्रदान संभव होता है। यह आदान—प्रदान अपनी संपूर्णता में हो इसकी पूरी जिम्मेदारी अनुवादक की होती है। यह पुरानी कहावत है कि दो भाषाएं जानने भर से कोई व्यक्ति अनुवादक नहीं हो जाता है। दो भाषाएं बोल और लिख लेना किसी की विशेषता हो सकती है, लेकिन एक अच्छा अनुवादक होने के लिए जो खास योग्यता होती है वह है भाषा—संस्कृति की समझ। पुस्तक के अनुवाद में किसी अनुवादक की इसी योग्यता की परीक्षा होती है।''
प्रोलिंगो एडिटर्स की संपादक (भाषा) डॉ. तृप्ति कहती हैं, ''तकनीक ने पुस्तकों के प्रकाशन और वितरण की व्यवस्था में अभूतपूर्व बदलाव किए हैं। किताबें आज डिज़िटल फॉर्म में ज्यादा पसंद की जा रही हैं। इस लिहाज से पुस्तक की छपाई पर आने वाली लागत घटी है, लेकिन दूसरी ओर पुस्तक को कई भाषाओं में प्रकाशित करने का चलन बढ़ा है। आज अंग्रेजी में प्रकाशित होने वाली कोई पुस्तक छह महीने के भीतर दूसरी भारतीय भाषाओं में भी आ जाती है। ऐसे में अनुवादक की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।''
प्रयागराज के एक नामी प्रकाशन से जुड़े मृत्युंजय चोपड़ा कहते हैं, ''हमारे प्रकाशन की विधि की दो पुस्तकों का अनुवाद प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम ने किया। विधि से जुड़ी शब्दावली अपेक्षाकृत क्लिष्ट होती है। दोनों ही पुस्तकों को टीम ने हिंदी से अंग्रेजी में अनुवाद किया, जो बेहद संतोषप्रद रहा। हमारे प्रकाशन की पुस्तकें ज्यादातर सिविल की तैयारी कर रहे छात्रों के लिए उपयोगी होती हैं। छात्रों की बेहद मांग को देखते हुए विधि की दो किताबों का अंग्रेजी अनुवाद जरूरी हो गया था। प्रोलिंगो एडिटर्स की टीम की मदद से कम समय में ही उन दोनों किताबों का अंग्रेजी संस्करण आ गया। दो साल हो गए। दोनों ही पुस्तकें खूब पसंद की गई हैं।